आलस्यं हि मनुष्याणां



         आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः |
          नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति ||

अर्थात् :

मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही ( उनका ) सबसे बड़ा शत्रु होता है | परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा )कोई अन्य 
मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता |

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